अधिकतर छात्रों को पढ़ाई करते समय आलस या नींद आना एक आम बात है। लेकिन इससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान होता है। हमारे बुजुर्ग कहते हैं कि अगर जिंदगी में सफल होना है तो हमको आलस को त्यागना होगा। लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद पढ़ाई करते समय आलस आ ही जाता है। स्कूल, कॉलेज या किसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र सभी को इस समस्या का सामना करना पड़ता है। लेकिन इस ब्लॉग में हम छात्रों को आलस दूर करने के कई उपाय बताने जा रहें हैं। इन उपायों को अपनाकर छात्र अपनी पढ़ाई पर फोकस कर पाएंगे और आसानी से अपनी परीक्षा में सफल हो पाएंगे।
छात्रों को पढ़ाई करते समय ही क्यों आता है आलस
अक्सर आपने देखा होगा कि बच्चा पूरा दिन घर में उछल कूद करता है। ज्यादा से ज्यादा बाहर खेलता है लेकिन जैसे ही उसको पढ़ने के लिए बैठाया जाता है उसे आलस या सुस्ती आने लगती है और वह पढ़ाई से करताने लगता है। बच्चों की ये आदत कुछ विशेष कारणों के चलते ही उत्पन्न होती है। जानकारों के अनुसार पढ़ाई करते समय बच्चे को निम्न कारणों से आलस आता है।
- पढ़ाई करते समय समझ न आना – बच्चों को पढ़ाई करते समय जब अध्याय या टॉपिक समझ नहीं आता तो उनको उस विषय को पढ़ते समय आलस आने लगता है।
- रोजाना पढ़ाई न करना – देखा जाता है कि अक्सर छात्र सत्र के शुरूआती समय से ही पढ़ाई नहीं करते हैं। ऐसे में उनकी रोजाना पढ़ने की आदत नहीं बन पाती है और जब परीक्षा पास आ जाती है तो वह सभी सब्जेक्ट्स को तेजी से पूरा करने के कोशिश करते हैं। जिसमें वह कई बार उलझ जाते हैं। ऐसे में उनका मन पढ़ाई में नहीं लगता और उनको आलस आने लगता है।
- बेड पर लेटकर पढ़ाई करना – जब छात्र बेड या किसी जगह पर लेटकर पढ़ाई करते हैं तो अक्सर उन्हें आलस आने लगता है।
- बिना ब्रेक लिए पढ़ना – छात्र एक ही सब्जेक्ट को लंबे समय तक पढ़ते हैं तो उन्हें उस सब्जेक्ट पर बोरियत होने लगती है। बिना ब्रेक लिए पढ़ने से उनको एक निश्चित समय के बाद आलस आने लगता है।
- जबरदस्ती पढ़ाई करना – माता-पिता के बार-बार कहने पर बच्चे पढ़ाई करने बैठ तो जाते हैं लेकिन उनका मन न होने की वजह से वह किसी भी चीज को समझ नहीं पाते हैं और उनको आलस आने लगता है।
पढ़ाई करते समय आलस को कैसे दूर करें
पढ़ाई करते समय आलस से बचने के लिए छात्र आगे बताए जाने वाले उपायों को अपना सकते हैं।
- व्यायाम व योग को दिनचर्या में शामिल करें – छात्रों को थोड़ी देर के लिए ही सही पर अपनी दिनचर्या में व्यायाम व योग को अवश्य शामिल करना चाहिए। इससे उनका स्वास्थ्य सही बना रहता है। साथ ही उनकी शारीरिक व मानसिक क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है। मानसिक क्षमता से वृद्धि होने से छात्र एकाग्रता से पढ़ाई करने में सक्षम बनते हैं और वह आलस से दूर रहते हैं।
- अपनी पसंदीदा जगह पर टाईम टेबल बनाकर पढ़ना – छात्रों को आलस से बचने के लिए अपने घर की पसंदीदा जगह पर एक टाइम टेबल बनाते हए पढ़ाई करने की आदत डालनी चाहिए। इससे बच्चा जो भी पढ़ता है उसको एकाग्रता से पढ़ते हुए तेजी से याद कर पाता है और पढ़ते हुए आलस भी महसूस नहीं करता है।
- बैठ कर पढ़ाई करना – बच्चे जब भी पढ़ाई करें उनके बैठने की स्थिति सही होनी चाहिए। सही स्थिति में बैठकर पढ़ने से छात्र आलस से दूर रहते हैं। दरअसल लेट कर या ज्यादा आराम से बैठकर पढ़ने से बच्चों को नींद आने लगती है।
- संतुलित आहार लेना – संतुलित आहार से मानसिक स्वास्थ्य में पर गहरा असर पड़ता है। देखा जाता है जो छात्र ज्यादा तैलीय व अधिक मात्रा में भोजन करते हैं उनको खाना खाते ही नींद आने लगती है। इसलिए छात्रों को आलस से बचने के लिए संतुलित आहार ही ग्रहण करना चाहिए।
- टहल कर पढ़ाई करना – जिन छात्रों को पढ़ाई करते समय ज्यादा आलस आता है, उनको कुछ दिनों तक टहल कर पढ़ाई करनी चाहिए। इससे उन्हें पढ़ाई करते समय नींद नहीं आएगी।
- पढ़ाई करते समय ब्रेक अवश्य लें – पढ़ाई करते समय बच्चों को समय समय पर ब्रेक लेना चाहिए। इससे उनकी एकाग्रता बनी रहती है और उनसे आलस दूर रहता है।
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से पढ़ाई करना – कई बार छात्रों को आलस इसलिए भी आता है क्योंकि वह अपने कॉन्सेप्ट को समझ नहीं पाते हैं। छात्रों को इस समस्या से बचने के लिए ऑनलाइन स्टडी प्लेटफॉर्म्स से मदद लेनी चाहिए। ब्राइट ट्यूटी एक लोकप्रिय स्टडी प्लेटफॉर्म हैं जो सीबीएसई, बिहार, यूपी, आईसीएसई, राजस्थान व हरियाणा के अलावा कई बोर्ड के छात्रों को ऑनलाइन कोर्स प्रदान करता है। इसके कोर्सेज बेहद ही आसान है इसलिए ही इसको 5 लाख से अधिक छात्रों द्वारा पसंद किया गया है। इसमें छात्रों को वीडियो लेक्चर्स के माध्यम से कॉन्सेप्ट समझाने के साथ ही परीक्षा के लिए भी तैयार किया जाता है।
ऊपर बताए गए उपायों को अपनाकर छात्र पढ़ाई के दौरान आलस आने की समस्या को दूर कर सकते हैं।