अंतरिक्ष में भारत की पहचान बनाता इसरो

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अंतरिक्ष में भारत की पहचान बनाता इसरो

भारत एक विकासशील देश हैं। हमारे देश ने हर क्षेत्र में तरक्की की है। जमीन के साथ ही हमारे देश के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में भी अपनी तकनीकी मौजूदगी को सफलतापूर्वक दर्ज कराई है। व्यक्ति वर्षों से अंतरिक्ष के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहा है। इसके लिए दुनिया भर के देश अंतरिक्ष में की जाने वाली खोजो में अपना विशेष योगदान दे रहें हैं। भारत आज खुद अपने सैटालाइट बनाकर उन्हें लांच करने की क्षमता रखता है और फ्रांस, रूस, अमेरिका, जापान व चीन जैसे कुछ चुनिंदा देशों की श्रेणी में खड़ा है। भारत की इस उपलब्धि का सारा श्रेय भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो-ISRO) को जाता है। इसरो ही हमारे देश के लिए अंतरिक्ष में की जाने वाली खोजों व अन्य सभी प्रकार की तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करता है।   

 

इसरो क्या है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का गठन वर्ष 1969 में किया गया था। इसको अंग्रेजी में Indian Space Research Organisation (ISRO) कहा जाता है। वर्ष 1962 में भारत सरकार की ओर से भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (इन्कोस्पार) को बनाया गया। इसके बाद हमारे देश ने अंतरिक्ष में जाने का कार्य शुरू किया। जिसके लिए डॉ. विक्रम साराभाई द्वारा इन्कोस्पार कार्यक्रम ने वायुमंडल की ऊपरी सतह के अनुसंधान के लिए थुंबा में रॉकेट प्रमोचन केंद्र की स्थापना की। इन्कोस्पार कार्यक्रम से 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का गठन किया गया, जो कि प्रारम्भ में अंतरिक्ष मिशन के अंतर्गत कार्यरत था। इसके बाद डॉ. विक्रम साराभाई ने इसरो को देश के लिए अंतरिक्ष अनुसंधान मिशन की ओर बढ़ावा दिया। डॉ. विक्रम साराभाई को अंतरिक्ष कार्यक्रम (स्पेस प्रोग्राम) का जनक भी कहा जाता है। इसरो के कार्यों की सफलता को देखते हुए वर्ष 1972 में, स्वतंत्र अंतरिक्ष विभाग की स्थापना की गई। इसरो देश के अंतरिक्ष विभाग के अतंर्गत आता है और ये सीधे प्रधानमंत्री को अपनी रिपोर्ट भेजता है।

 

इसरो का कार्य

इसरो हमारे देश की स्पेस एजेंसी है, जिसका मुख्य कार्य देश को अंतरिक्ष संबंधी तकनीक प्रदान करना है। इसके अलावा इसरो द्वारा सैटालाइट्स का निर्माण किया जाता है और उनको अंतरिक्ष में भेजा जाता है। इसरो उपग्रह प्रक्षेपण यान को बनाता है। भारत द्वारा सभी तरह के स्पेस प्रोजेक्ट इसरो द्वारा ही पूरे किये जाते हैं। 

इसरो के कुछ प्रमुख कार्यों को निम्नलिखित बताया गया है।

  • मौसमविज्ञान, संचार, भू-पर्यवेक्षण, दिशानिर्देशन, तथा अंतरिक्षविज्ञान के लिए उपग्रहों व संबंधित तकनीक का विकास करना।
  • टेलिविज़न प्रसारण, दूरसंचार तथा विकास संबंधित भारतीय राष्‍ट्रीय उपग्रह (इन्‍सेट) कार्यक्रम तैयार करना।
  • आपदा प्रबंधन व सामाजिक विकास में सहायक के अंतरिक्ष कार्यक्रम व योजना बनाना।
  • अंतरिक्ष तकनीक का प्रचार-प्रसार करना।
  • अंतरिक्ष तकनीक में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रदान करना।

 

भारत में कितने इसरो केंद्र हैं

इसरो का मुख्यालय बेंगलुरू कर्नाटक में स्थित है। देश के 23 शहरों में इसरो द्वारा केंद्र बनाए गए हैं। इन सभी केंद्रों पर विभिन्न अंतरिक्ष अनुंसधान संबंधी कार्य किए जाते हैं।

 

इसरो के सफल अभियान

- वर्ष 1963 में देश के पहले रॉकेट का परीक्षण किया गया।

- वर्ष 1975 में देश का पहला सेटालाइट लॉन्च किया गया था। इस सैटलाइट को आर्यभट्ट नाम दिया गया था।

- वर्ष 1979 में भारत का दूसरा भास्कर 01 उपग्रह को लॉन्च किया गया।

- इसरो द्वारा वर्ष 1981 में एप्पल नाम का भूवैज्ञानिक संचार उपग्रह लॉन्च किया गया।

- वर्ष 1982 में इन्सैट-1A को लॉन्च किया गया।

- वर्ष 1999 में भारत द्वारा पहली बार विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण किया गया था। इसमें दक्षिण कोरिया के उपग्रह किटसैट-3 और जर्मनी के डीसी आर-टूबसैट उपग्रह का परीक्षण किया गया।

- वर्ष 2008 में चंद्रयान- 1 व 2013 में मंगलयान को लॉन्च किया गया।

- वर्ष 2019 में चंद्रयान – 2 को लॉन्च किया गया।

 

चंद्रयान 2 की मौजूदा स्थिति

इसरो के चंद्रयान-2 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुए एक वर्ष पूरा हो चुका है और इसके सभी उपकरण सही तरह से कार्य कर रहें हैं। इसरो के अनुसार फिलहाल इसमें पिछले सात वर्षों के लिए पर्याप्त ईंधन मौजूद है।

एक वर्ष पूर्व इस उपग्रह के आठ वैज्ञानिक उपकरणों को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने मुताबिक ये उपग्रह चंद्रमा के चारों ओर 4,400 से अधिक परिक्रमाएं पूरी कर चुका है।

चंद्रयान -2 को चंद्रमा में मौजूद खनिज, सतह, रासायनिक संरचना, और वातावरण के विस्तृत अध्ययन व जानकारियों को इकट्ठा करने के लिए भेजा गया है।

 

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