राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में अहम भूमिका निभाएंगे शिक्षक

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देश की दिशा और दशा को नए आयाम देने में शिक्षा नीति अहम रोल अदा करती है। इस नीति के द्वारा आने वाले समय में शिक्षा क्षेत्र को नई पहचान देने का कार्य किया जाता है। एक अच्छी नीति का बनना जितना जरूरी है, ठीक उतना ही जरूरी है उस नीति का पालन होना। इस नीति को लागू करने के लिए सरकार की ओर से शिक्षकों से सुझाव मांगे गये हैं।

देश की युवा पीढ़ी को नई दिशा देने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है। शिक्षक ही देश के बच्चों को सही शिक्षा प्रदान करते हैं। शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सरकार ने भी उनसे शिक्षा नीति को लागू करने के लिए सुझाव मांगे हैं।

 

शिक्षा नीति क्या है?

यह नीति देश की शिक्षा व्यवस्था की रूपरेखा को तैयार करती है। देश की सुरक्षा नीति की तरह ही शिक्षा नीति भी महत्वपूर्ण होती है। समाज की कुरीतियों को दूर करने का कार्य शिक्षा करती है और शिक्षा की व्यवस्था को सुचारु व सुदृढ़ बनाने का काम शिक्षा नीति द्वारा किया जाता है। इस वजह से शिक्षा नीति के प्रभाव सीधे तौर पर समाज से जुड़े होते हैं। 

भारत की आजादी के बाद पहली शिक्षा नीति वर्ष 1968 में बनाई गई थी। इसे उस समय के यूजीसी (चेयरमैन) अध्यक्ष डीएस कोठारी के नेतृत्व में बनाई गई कमेटी ने तैयार किया था। इसके बाद समय के साथ शिक्षा में बदलाव की मांग को देखते हुए 1986 में दूसरी शिक्षा नीति को लाया गया था। इसके करीब 34 वर्षों बाद तीसरी शिक्षा नीति बनाई गई है। नीति को बनाने के बाद इसको लागू करने में भी कुछ वर्षों का समय लग जाता है।

 

स्कूलों पर शिक्षा नीति का प्रभाव

शिक्षा नीति में सभी स्तर की शिक्षा को शामिल किया जाता है। इसमें प्री-नर्सरी से पीएचडी तक की शिक्षा व्यवस्था पर विस्तृत रूपरेखा बनाई गई है। इसके अंतर्गत स्कूलों में निम्न तरह के बदलाव किये जाएंगे।

  • प्री-नर्सरी को भी बनाया गया शिक्षा का हिस्सा
  • कक्षा 6 से छात्र पढ़ सकेंगे वोकेशनल ट्रेनिंग
  • कक्षा 5 तक का सिलेबस मातृभाषा में पढ़ाया जाएगा
  • स्कूल को छोड़ चुके बच्चों को दोबारा स्कूल लाया जाएगा
  • सिलेबस दोबारा से तैयार किया जाएगा
  • बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को कम किया जाएगा
  • वर्चुअल लैब बनाई जाएगी।

 

बदलाव की क्यों हुई आवश्यकता

भविष्य में देश को अग्रणी पंक्ति में खड़ा करने के लिए शिक्षा जगत में बदलाव की आवश्यकता लंबे समय से महसूस हो रही थी। 1986 में जो शिक्षा नीति बनाई गई थी, वो उस समय के शिक्षा जरूरतों के अनुसार तैयार की गई थी, लेकिन 34 वर्षों में लगभग हर क्षेत्र में कई बड़े बदलाव हुए हैं। ऐसे में शिक्षा नीति को भी दोबारा से बनाना बेहद जरूरी था। इसी वजह से देश के भविष्य के लिए शिक्षा नीति को तीसरी बार बनाया गया है।

 

नीति लागू करने में सुझाव देंगे शिक्षक

शिक्षा नीति के लागू होने से स्कूली शिक्षा पर बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। स्कूली शिक्षा बच्चों के भविष्य में अहम रोल अदा करती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ट्वीट कर इस नीति को लागू करने के लिए स्कूली शिक्षकों और प्रधानाचार्यों से सुझाव मांगे हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति को लागू करने में स्कूली शिक्षकों की अहम भूमिका है। इसीलिए सरकार की ओर से इस महत्वपूर्ण नीति को लागू करने के लिए शिक्षकों व प्रधानाचार्यों से उनकी राय व सुझाव मांगे गए हैं।

इस प्रक्रिया में अपने सुझाव देते समय शिक्षकों को ज्यादा परेशानी न हो, इसलिए पहले से ही कुछ प्रश्नोत्तर तैयार किये गये हैं। इस प्रश्नोत्तरों में नीति के हर क्षेत्र को शामिल किया गया है। साथ ही इसमें नीति से संबंधित पैराग्राफ को भी संदर्भ रूप में दिया गया है, ताकि शिक्षक सुझाव देने से पहले प्रश्न को अच्छी तरह से समझ सके।

शिक्षकों के सुझाव सीमित शब्दों में मांगे गए हैं। इन सुझावों को एनसीईआरटी के विशेषज्ञों की टीम देखेगी, यदि किसी शिक्षक के सुझाव बेहतर या उपयोगी लगेगा, तो उस शिक्षक से विशेषज्ञ टीम के सदस्य मिलेंगे।

मंत्रालय की ओर से सरकारी, प्राइवेट स्कूल और सभी बोर्ड द्वारा संबद्ध स्कूलों के शिक्षकों को इस नीति के सुझाव देने के लिए कहा है।

 

स्कूल कर रहे हैं शिक्षकों को तैयार

सीबीएसई के कुछ स्कूल शिक्षकों को इस योगदान के लिए तैयार कर रहे हैं। इस कड़ी में स्कूल शिक्षकों के लिए ऑनलाइन प्रतियोगिता आयोजित करने लगे हैं। जिसमें 31 अगस्त तक शिक्षकों से उनके आइडिया या सुझाव मांगे गए हैं। सीबीएसई की ओर से इस संबंध में अपने सभी स्कूलों को गाइडलाइन भी जारी की है।  

 

ब्राइट ट्यूटी और ऑनलाइन क्लालेस

शिक्षा नीति में ऑनलाइन क्लासेस व वर्चुअल लैब बनाने की बात कही गई है। ब्राइट ट्यूटी शिक्षा के भविष्य को पहचानते हुए सीबीएसई, आईसीएसई व 20 से अधिक अन्य शैक्षिक बोर्ड के पाठ्यक्रमों पर ऑनलाइन कोर्स तैयार कर, छात्रों को प्रदान कर रहा है। इसमें छात्रों को वीडियो लेक्चर्स के साथ असाइनमेंट्स, बहुविकल्पीय प्रश्न-उत्तर व विशेष परीक्षा किट भी प्रदान की जाती है। ब्राइट ट्यूटी के शिक्षक पैनल में विभिन्न बोर्ड के अनुभवी शिक्षकों को शामिल किया गया है। यह शिक्षक अपने अनुभव के आधार पर सभी ऑनलाइन कोर्स को बेहद रोचक व आकर्षक रूप से तैयार करते हैं।

ब्राइट ट्यूटी के कोर्स की खास बात यह है कि इससे छात्र मुश्किल अध्यायों को भी बेहद कम समय में आसानी से समझ जाते हैं। इसके साथ ही वह ऑनलाइन कोर्स की मदद से अपनी सहूलियत के आधार पर पढ़ाई को किसी भी समय कर सकते हैं। ब्राइट ट्यूटी मात्र सिलेबस को पूरा करने पर ही ध्यान नहीं देता, बल्कि वह छात्रों को परीभा के लिए भी तैयार करता है।

परीक्षा की तैयारी के लिए ब्राइट ट्यूटी छात्रों को अपने कोर्स में सैंपल पेपर्स, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र व मॉडल टेस्ट पेपर्स प्रदान करता है। छात्र इन परीक्षा पत्रों से अभ्यास कर पाएं इसके लिए उन्हें सॉलव्ड व अनसॉलव्ड दोनों ही प्रारूप में परीक्षा पत्र दिये जाते हैं। इनके नियमित अभ्यास से छात्र परीक्षा के वास्तविक माहौल से परीचित होते हुए, परीक्षा की अंक प्रणाली को भी सही ढंग से समझ पाते हैं। इससे छात्रों का परीक्षा संबंधी डर दूर होता है और वह अपनी परीक्षा में पहले की अपेक्षा अधिक अंक लाने के लिए सक्षम बनते हैं। ब्राइट ट्यूटी ने अपने ऑनलाइन कोर्स सभी छात्रों को ध्यान में रखते हुए बेहद ही कम कीमत पर उपलब्ध कराए हैं।