नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में हुए कई बड़े बदलाव

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में हुए कई बड़े बदलाव

नईराष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है। करीब 34 वर्षों के बाद नई शिक्षा नीति को लागू किया जा रहा है। इसके अंतर्गत वर्ष 2030 तक देश के सभी बच्चों को स्कूली शिक्षा में पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2030 के बाद कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। इसके साथ ही राज्य स्कूलों के मानक प्राधिकरण में निजी व सरकारी दोनों ही क्षेत्रों के स्कूलों को शामिल किया जाएगा। इस तरह सरकारी व निजी स्कूलोंके लिए पहली बार एक ही नियम लागू हो सकेगा। जिससे निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि को रोका जा सकेगा।

शिक्षा क्षेत्र में सुधार को लेकर तैयार की गई नई शिक्षा नीति-2020 में कई महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील, छठी कक्षा से ही वोकेशनल एजुकेशन को बढ़ावा, पांच वर्षों में समीक्षा व ऑनलाइन-डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा आदि बिंदुओं को शामिल किया गया है। इसके अलावा आने वाले समय मेंस्कूली शिक्षा को 10+2 के स्थान पर 5+3+3+4 की रुपरेखा (भाग में) पर चलाया जाएगा। इसके अनुसार प्राइमरी से 2 कक्षा को पहले, 3 से 5 कक्षा को दूसरे, 6 से 8वीं तक की कक्षा को तीसरे, 9वीं से 12वीं तक की कक्षा को चौथे हिस्से में रखा गया है। लेकिन दसवीं व बारहवीं कक्षाओं में बोर्ड की परीक्षाएं पहले की तरह ही आयोजित की जाएंगी।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल महत्वपूर्ण बदलाव

  • वर्ष 2030 तक 100 फीसदी जीईआर (Gross Enrolment Ratio) का लक्ष्य रखा गया है।
  • 5वीं कक्षा तक की शिक्षा मातृभाषा व स्थानीय-क्षेत्रिय भाषा में कराने की बात को शामिल किया गया है।
  • आठ वर्ष तक के बच्चों के लिए एनसीआरटी (NCERT) द्वारा प्रारंभिक बचपन देखभाल व शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम व शैक्षणिक ढांचा तैयार किया जाएगा।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के नाम को परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय (Education Ministry) किया गया है। इसके अंतर्गत अब रमेश पोखरियाल निशंक भारत के शिक्षा मंत्री कहलाए जाएंगे।
  • जीडीपी के 4.43 फीसदी की जगह पर 6 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • 6वीं क्लास से वोकेशनल कोर्सेस की पढ़ाई कराई जाएगी। इसके साथ ही कुछ इच्छुक छात्रों को इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। वहीं आर्ट्स व संगीत को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • मेडिकल व लॉ शिक्षा के अलावा सभी उच्च शिक्षा के लिए एकल निकाय के लिए भारत उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना की जाएगी।
  • मल्टीपल एंट्री व एग्जिट सिस्टम को लागू किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर यदि इंजीनियरिंग छात्र बीच में शिक्षा को छोड़ना चाहेंगे, तो इस सिस्टम के तहत छात्रों को एक साल के लिए सर्टिफिकेट, दो वर्षों के लिए डिप्लोमा व तीन-चार वर्षों के लिए डिग्री दी जाएगी। जो छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, इस सिस्टम से उनको बेहद फायदा होगा।
  • इसके साथ ही नई शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को यदि किसी कोर्स को छोड़कर अन्य कोर्स में एडमिशन लेना हो तो उसको एक निश्चित समय सीमा देने का विकल्प दिया जाएगा।
  • ई-पाठ्यक्रम को क्षेत्रीय भाषाओं में बनाया जाएगा। एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम बनाया जाएगा।प्रारंभिक दौर में आठ क्षेत्रीय भाषाओं में ई-पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा। डिजिटल क्लासेस के लिए वर्चुअल लैब भी विकसित की जाएगी।

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