प्राथमिक शिक्षा बच्चों की औपचारिक शिक्षा का पहला चरण होता है। इस चरण में बच्चा पढ़ने-लिखने और संख्याओं को जोड़ने-घटाने के साथ बुनियादी गणना को समझता है। सही मायनों में देखा जाये तो शुरुआती दौर में बच्चा जो कुछ भी सीखता है, वहीं शिक्षा उसकी आगे की पढ़ाई में मदद करती है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा के पहले चरण को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अनुसार यदि 10 वर्ष तक की आयु का बच्चा किसी साधारण चीज को पढ़ने या समझने के लिए सक्षम न हो, तो इसको “लर्निंग पावर्टी” माना जाएगा। जो बच्चे 10 वर्ष की आयु में पढ़ने के लिए सक्षम नहीं हैं, उन्हें अपनी आगे कि पढ़ाई को करने में मुश्किल होती है। साथ ही ऐसे में बच्चों को अपना करियर बनाने में भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी सर्वेक्षणों ने बच्चों के सीखने की क्षमता में कमी का संकेत दिया है। भारत में करीब 5 करोड़ से अधिक छात्र प्राथमिक स्तर की शिक्षा से जुड़े हैं, लेकिन इनमें से कई छात्र पढ़ने व गणना करने में सक्षम नहीं हैं।
क्या कहते हैं आकड़े
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण के अनुसार गणितीय क्षमता में 12 राज्यों के छात्रों ने राष्ट्रीय औसत से काफी कम अंक प्राप्त किये। सर्वेक्षण के अनुसार यह स्थिति भारत के शिक्षा क्षेत्र में विकास के लिए चुनौतिपूर्ण हो सकती है। यदि आने वाले वर्षों में सही नीतियां नहीं बनाई गई तो इससे शिक्षा क्षेत्र के स्तर में कमी आ सकती है।
स्थिति को सुधारने के लिए कदम
इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार ने समग्र शिक्षा योजना को आगे बढ़ाया है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य बच्चों की स्कूलों तक पहुंच बनाना है। फिलहाल योजना ने अपना लक्ष्य प्राप्त कर लिया है और प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन 100% पहुंच चुका है। हालांकि, सीखने की नई मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा मंत्रालय ने एनईपी 2020 में मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया है।
भविष्य में क्या किया जाएगा
मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कक्षा 3 तक के सभी छात्रों को मूलभूत साक्षरता व संख्यात्मकता प्रदान करने के लक्ष्य को सर्वोपरि रखा गया है। साथ ही इसको 2025 तक प्राप्त किये जाने का लक्ष्य बनाया गया है। यह मिशन 3 से 11 वर्ष के 5 करोड़ बच्चों को लाभांवित करेगा। इस राष्ट्रीय अभियान में शिक्षा क्षेत्र की कमियों व असमानताओं को पहचानते हुए, उसे दूर करने के उपायों को खोजा जाएगा।
इस लक्ष्य के परिणामों को प्राप्त करने के लिए स्कूली प्रबंधन व अभिभावकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इस कार्यक्रम में स्कूली प्रबंधन को प्रशिक्षित किया जाएगा, साथ ही अभिभाकों को भी जागरूक किया जाएगा। इससे बच्चों के विकास का सही आकलन हो सकेगा। इसके साथ ही जिन क्षेत्रों स्कूलों में शिक्षकों की आवश्यकता है, उनमें शिक्षकों को नियुक्त किया जायेगा।
छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा कैसे प्रदान करें
आज के दौर में बच्चे छोटी उम्र से ही मोबाइल व कंप्यूटर का उपयोग करना पसंद करते हैं। यही मोबाइल व कंप्यूटर बच्चों को शिक्षित करने का एक बेहतरीन माध्यम बन सकते हैं। आज ऐसे कई स्टडी प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, जो छोटे बच्चों को कहानी के माध्यम से किसी महत्त्वपूर्ण विषय को सीखने में मददगार साबित होते हैं। इसके अलावा स्कूली शिक्षा को भी ऑनलाइन कोर्स से पूरा किया जा सकता है। छात्र स्कूली शिक्षा को पूरा करने के लिए ब्राइट ट्यूटी प्लेटफॉर्म को पसंद करते हैं। यही वजह है कि देश के 5 लाख से अधिक छात्र ब्राइट ट्यूटी के कोर्स से नियमित रूप से अपनी पढ़ाई पूरी कर रहें हैं।
कोरोना के बाद से ही स्कूल बंद हैं। ऐसे में छात्र ब्राइट ट्यूटी के ऑनलाइन कोर्स से अपने सिलेबस को पूरा करने में जुटे हैं। ब्राइट ट्यूटी सीबीएसई, आईसीएससी, हरियाणा, बिहार, यूपी, उत्तराखंड आदि 20 से अधिक शैक्षिक बोर्ड के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार करता है। इस प्लेटफॉर्म में कक्षा 6 से 10वीं तक की कक्षाओं के सिलेबस पर ऑनलाइन कोर्स बनाये गये हैं। यह कोर्स हिंदी, अंग्रेजी और बाईलिंग्वल (हिंदी अंग्रेजी मिश्रित) भाषा में तैयार किये गये हैं।
इसमें छात्रों को वीडियो लेक्चर्स प्रदान किये जाते हैं। ब्राइट ट्यूटी ने अपने वीडियो लेक्चर्स को सरल व रोचक बनाने के लिए लगभग सभी बोर्ड के अनुभवी शिक्षकों को अपने पैनल में शामिल किया है। यह अनुभवी शिक्षक जानते हैं कि प्रत्येक छात्र की सीखने और समझने की क्षमता अलग अलग होती है। ऐसे में शिक्षक वीडियो लेक्चर्स को तैयार करते समय दैनिक जीवन के बेहद ही सरल उदाहरणों की मदद लेते हैं। इससे छात्र को वीडियो एक बार देखने में ही अध्याय या टॉपिक आसानी से समझ आ जाता है। यदि इसके बाद भी छात्र को वीडियो समझ न आये, तो वह अपनी सहूलियत अनुसार कई बार वीडियो को देख कर, अध्याय को समझ सकता है। इसके अलावा छात्र अध्याय संबंधी मुश्किल को दूर करने के लिए ब्राइट ट्यूटी के विषय एक्सपर्ट से भी बात कर सकते हैं।
छात्रों को कोर्स में प्रत्येक टॉपिक के वीडियो लेक्चर्स के साथ असाइनमेंट्स व बहुविकल्पीय प्रश्न भी दिये जाते हैं। बहुविकल्पीय प्रश्नों को हल करने के बाद छात्रों को उनके जवाब भी बताए जाते हैं। इसके साथ ही छात्रों को परीक्षा के अभ्यास के लिए विशेष रूप से परीक्षा किट प्रदान की जाती है। इस परीक्षा किट में छात्रों को सैंपल पेपर्स, मॉडल टेस्ट पेपर्स व पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र दिये जाते हैं। परीक्षा किट में परीक्षा पत्रों के साथ ही उनके सॉलव्ड प्रारूप प्रदान किये जाते हैं। जब छात्र परीक्षा किट से अपनी परीक्षा की नियमित तैयारी करता है, तो उसके मन से परीक्षा का डर समाप्त हो जाता है। साथ ही इस अभ्यास से छात्र यह समझ पाता है कि किस प्रश्न को कितना समय देना चाहिए। इस तरह की रणनीति को अपनाते हुए छात्र अपनी परीक्षा में पहले के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन कर पाता है।
ब्राइट ट्यूटी के कोर्स की खास बात यह है कि इसे अन्य स्टडी प्लेटफॉर्मों की अपेक्षा बेहद कम मूल्यों पर उपलब्ध कराया गया है। इस कोर्स से छात्र न सिर्फ अपने सिलेबस को पूरा कर सकते हैं, बल्कि वह परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। इसके कोर्स छात्र अपनी सहूलियत के अनुसार खरीद सकते हैं।