सदियों से शिक्षा ग्रहण करने की एक निश्चितप्रक्रिया चली आ रही है। इस प्रक्रिया में समय के साथ काफी हद तक बदलाव भी हुए हैं। पहले के गुरूकुल आज के स्कूल बन चुके हैं और आज के कक्षाएं अब वर्चुअल क्लासेस का रूप लेती जा रही हैं।
शिक्षा किसी भी तरीके से ली जाए हमेशा बेहतर ही होती है। इसके लिए हम तरीके को सही या गलत नहीं कह सकते हैं। स्कूली शिक्षा के अपने फायदे और नुकसान हैं, ठीक ऐसे ही ऑनलाइन शिक्षा के भी अपने फायदे और नुकसान होते हैं।
स्कूल या ऑनलाइन शिक्षा में से किसी एक को बेहतर कहने से पहले हमें इन दोनों को ही कई कसौटियों पर परखना होगा और देखना होगा कि दोनों ही तरीकों में से हमारे लिए क्या बेहतर है।
ऑनलाइन व स्कूली शिक्षा में क्या बेहतर
स्कूल शिक्षा के अपने कई फायदे हैं। स्कूल में बच्चा अन्य बच्चों के साथ पढ़ते हुए जीवन के लिए जरूरी कई सबक सीखता है। वैसे ही बदलाव के साथ बच्चे को नई तकनीक को सीखने की भी बेहद जरूरत होती है। ऐसे में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से कॉन्सेप्ट को नए तरीकों से सीखना भी आवश्यक है।
समय की उपलब्धता
ऑनलाइन एजुकेशन– ऑनलाइन एजुकेशन का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें छात्रों को किसी भी समय सीखने का अवसर प्राप्त होता है। ऑनलाइन कोर्स बच्चे अपनी सहुलियत के अनुसार पढ़ सकते हैं। इसे सीखने में समय की कोई पाबंदी नहीं होती है।
स्कूली शिक्षा – स्कूली शिक्षा व्यवस्था में छात्रों के पास अपने अनुसार सीखने का विकल्प मौजूद नहीं होता है। स्कूल की कक्षाएं रोजाना एक निश्चित समय पर शुरू होती है और निश्चित समय पर समाप्त हो जाती हैं। इसमें कोई छात्र उपस्थित नहीं होता तो उसकी पढ़ाई छूट जाती है। लेकिन इसका बड़ा फायदा यह होता है कि छात्र बचपन से ही व्यवस्थित दिनचर्या को अपनाना सीख जाते हैं।
छात्र अपने अनुसार अध्यायों को सीख सकते हैं
ऑनलाइन एजुकेशन – ऑनलाइन एजुकेशन मेंछात्रों का अपनी पढ़ाई पर पूरा नियंत्रण होता है।प्रत्येक छात्र की सीखने की क्षमता अलग-अलग होती है और ऑनलाइन एजुकेशन में छात्र अपनी सीखने की क्षमता के अनुसार किसी भी अध्याय को सीख सकते हैं। कुछ छात्र जल्दी सीखने वाले होते हैं, जबकि कुछ को एक निश्चित विषय को समझने में समय लग सकता है। किसी अध्याय को देरी से समझने वाले छात्रों के लिए ऑनलाइन एजुकेशन एक बेहतर विकल्प होती है। इसमें छात्र अपनी गति के अनुसार ऑनलाइन कोर्स के द्वारा किसी भी अध्याय को एक बार या कई बार देखते हुए समझ सकते हैं।
स्कूली शिक्षा -स्कूली शिक्षा में निश्चित समय के अनुसार कक्षाएं ली जाती है। इसमें किसी भी विषय के शिक्षक को एक निश्चित समय सीमा के अंदर अपनी क्लास को पूरा करते हुए निर्धारित टॉपिक छात्रों को समझाना होता है। लेकिन इस शिक्षण व्यवस्था मेंकुछ छात्रों को यह महसूस हो सकता है कि शिक्षक के पढ़ाने की गति उनके समझने की गति से बहुत तेज़ है। सीमित समय में एक शिक्षक के लिए प्रत्येक छात्र पर अलग-अलग ध्यान देना संभव नहीं होता है।
शिक्षकों की निर्भरता को कम करना
ऑनलाइन एजुकेशन -जब छात्रों के पास सीखने या पढ़ने के लिए ऑनलाइन कोर्स का विकल्प उपलब्ध होता है, तो उन्हें अध्यायों को समझने या किसी मुश्किल को दूर करने के लिए स्कूली शिक्षकों या ट्यूशन पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। वे ऑनलाइन कोर्स की सहायता से खुद ही विषय के सभी अध्यायों को अपनी इच्छानुसार पढ़ सकते हैं। ऑनलाइन एजुकेशन में इंटरनेट के द्वारा छात्र अपने अध्याय या टॉपिक से जुड़ी अन्य जानकारियों को भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
ऑनलाइन एजुकेशन की सहायता लेने से छात्र अपनी परीक्षाओं के लिए बेहतर रूप से तैयार होते हैं। साथ ही साथ उनकी ट्यूशन या स्कूल के शिक्षकों पर निर्भरता कम हो जाती है।
स्कूली शिक्षा – स्कूली शिक्षा में बच्चा पूरी तरह से स्कूल के शिक्षकों पर निर्भर होता है। स्कूल में जब शिक्षक किसी अध्याय को पढ़ाते हैं तब ही छात्र उस अध्याय को सीख सकते हैं। यदि छात्र किसी विशेष अध्याय को पढ़ना या सीखना चाहता हैं, तो उसे संबंधित अध्याय को सीखने के लिए इंतजार करना होता है। इस तरह स्कूली शिक्षा में छात्र पूरी तरह से अपने शिक्षकों पर निर्भर होता है।
समय की बचत
ऑनलाइन एजुकेशन – ऑनलाइन एजुकेशन में ऐसे कई कोर्स उपलब्ध हैं, जिनमें बच्चों को सॉलव्ड व अनसॉलव्ड असाइनमेंट्स दिये जाते हैं। इसमें बच्चा किसी टॉपिक को पढ़ने के बाद उसका असाइनमेंट्स दे सकता है और इसके बाद छात्र को इसके मूल्याकंन के लिए शिक्षक का इंतजार भी नहीं करना पड़ता। वह खुद ही इसके सॉलव्ड सैंपल को देखकर स्वयं का मूल्याकंन कर लेता है। इससे उसका समय बचता है।
स्कूली शिक्षा – स्कूली शिक्षा में शिक्षकों द्वारा किसी अध्याय को पढ़ाने के बाद असाइनमेंट्स दिये जाते हैं। इसके बाद उन असाइनमेंट्स को शिक्षक जांचते हैं। इस मूल्याकंन प्रक्रिया के बाद ही छात्रों को पता चल पाता है कि वह अध्याय को कितना समझ पाएं हैं। यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी होती है और इसमें समय भी अधिक लगता है।
निष्कर्ष – इस तरह से हम देख सकते हैं कि समय के साथ ऑनलाइन एजुकेशन कई तरह से बेहतर शिक्षा प्रदान करने का एक विकल्प बन सकती है। लेकिन छात्रों को स्कूली शिक्षा देना भी बेहद आवश्यक है। दोनों ही शिक्षा के समावेश से छात्र अपने सीखने के समय को कम करते हुए बेहतर बना सकते हैं। स्कूली शिक्षा छात्र को शिक्षा के साथ अनुशासन, सामाजिकता व नैतिक मूल्यों को सिखाने का एक सफल माध्यम है, वहीं बदलाव के साथ तकनीक युग में बच्चे को ऑनलाइन एजुकेशन को भी आत्मसात् करना महत्वपूर्ण हो चला है।
ब्राइट ट्यूटी का संक्षिप्त परिचय
ब्राइट ट्यूटी भविष्य की शिक्षण व्यवस्था को समझते हुए छात्रों के लिए ऑनलाइन कोर्स तैयार करता है। इसके लगभग सभी कोर्स अंग्रेजी, हिंदी व बाईलिंग्वल (हिंदी-अंग्रेजी मिश्रित) भाषा में तैयार किये गये हैं। ब्राइट ट्यूटी में सीबीएसई, हरियाणा बोर्ड, यूपी बोर्ड, मध्य प्रदेश बोर्ड व आईसीएससी सहित देश के 20 से अधिक शैक्षिक बोर्ड के संपूर्ण पाठ्यक्रम के आधार पर ऑनलाइन कोर्स बनाए हैं। इसके कोर्स बेहद ही सरल शिक्षण विधि में बनाए गये हैं, जिनको समझना बेहद ही आसान होता है। यही मुख्य कारण है कि आज देश के 5लाख से अधिक छात्र ब्राइट ट्यूटी पर भरोसा करते हैं। साथ ही इससे जुड़ने वाले छात्रों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
ब्राइट ट्यूटी अपने कोर्स में छात्रों को वीडियो लेक्चर्स, असाइनमेंट्स (सॉलव्ड व अनसॉलव्ड), बहुविकल्पीय प्रश्न-उत्तर व विशेष परीक्षा किट प्रदान करता है। वीडियो लेक्चर्स के द्वारा जब छात्र किसी विषय को पूर्ण कर लेते हैं तो वह अपनी परीक्षा की तैयारी परीक्षा किट के माध्यम से कर सकते हैं। परीक्षा किट में छात्रों को पिछले वर्षों के परीक्षा पत्र, सैंपल पेपर्स व मॉडल टेस्ट पेपर्स दिये जाते हैं। यह सभी पेपर्स छात्रों को सॉलव्ड व अनसॉल्वड रूप में उपलब्ध कराए जाते हैं। इनके अभ्यास से छात्र अपनी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए अच्छे अंक अर्जित कर पाते हैं।