छात्रों के लिए डिजिटल एजुकेशन क्यों महत्त्वपूर्ण

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छात्रों के लिए डिजिटल एजुकेशन क्यों महत्त्वपूर्ण

समय में निरंतर बदलाव होता रहता है और खुद को समय के साथ बदल लेना ही बेहतर होता है। यह बदलाव किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं होता, बल्कि बदलाव व तरक्की हर क्षेत्र को आगे ले जाने का कार्य करती है। शिक्षा क्षेत्र में भी समय के साथ काफी बदलाव देखने को मिले हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के काल में शिक्षा क्षेत्र के बदलाव ने सभी को हैरान कर दिया है। आज के समय में लगभग हर स्कूल में बच्चों को डिजिटल रूप से शिक्षित किया जा रहा है, जो कार्य आने वाले दस से बीस सालों में होता वो बदलाव कुछ महीनों में ही देखने को मिला है।डिजिटल एजुकेशन छात्रों के लिए क्यों जरूरी है इस पर आगे विस्तार से चर्चा करते हैं।

डिजिटल लर्निंग छात्रों को होशियार बनाती है

पढ़ने की डिजिटल तकनीक को सीखने से छात्र अपने कौशल को खुद विकसित करते हैं। डिजिटल एजुकेशन से छात्र ऑनलाइन संसाधनों के बारे में जानते हैं, नई चीजों को खोजना व सीखना शुरू करते हैं और उनके उपयोग की आवश्यकता को समझते हैं। इससे उनकी संबंधित विषय पर रुचि बढ़ती है और वह पहले की अपेक्षा तेजी से सीखने लगते हैं। साथ ही वह अपने सिलेबस या अध्याय से जुड़े कई नए प्रश्न जो उनकी पुस्तक में नहीं होते उनको भी सीखते हैं। इसका बड़ा फायदा यह होता है कि इस प्रक्रिया के अंतर्गत वह टॉपिक के कॉन्सेप्ट को लंबे समय तक याद रख पाते हैं।

क्लासरूम की अपेक्षा बेहद विस्तृत

डिजिटल एजुकेशन में शिक्षकों व छात्रों के पास अपार संभावनाएं होती हैं। डिजिटल एजुकेशन में शिक्षक प्रत्येक छात्र को ध्यान में रखते हुए स्टडी मैटीरियल तैयार कर सकते हैं। स्कूल की क्लासरूम में शिक्षकों को 50 छात्रों से ज्यादा पर ध्यान देना व उनको पढ़ा पाना मुश्किल होता है, वहीं ऑनलाइन क्लासेस या डिजिटल कोर्स में शिक्षक एक साथ हजारों छात्रों को एक ही समय पर बेहद सरलता से क्लासेस दे सकते हैं। इससे शिक्षाप्रक्रिया विस्तृत हो जाती है। इसके साथ ही डिजिटल एजुकेशन में छात्रों के सुझावों व समस्याओं के आधार पर शिक्षक के लिए अपने शिक्षण विधि में बदलाव करना आसान हो जाता है। यह प्रक्रिया काफी कारगर सिद्ध होती है, जिससे ज्यादातर छात्रों के द्वारा बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद बढ़ जाती है।

सूचना कीभरमार

आज के दौर में इंटरनेट के द्वारा किसी भी सूचना को आसानी से पाया जा सकता है। खास बात यह है कि यह जानकारियां बिल्कुल मुफ्त हैं। पारंपरिक शिक्षा प्रणाली में छात्र किसी टॉपिक को अपनी स्कूल की लाइब्रेरी में मौजूद पुस्तकों से ही सीख पाते हैं। लेकिन डिजिटल एजुकेशन में छात्र इंटरनेट के माध्यम से किसी एक टॉपिक पर हजारों सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं।

कॉन्सेप्ट को समझना आसान

कई छात्र ऐसे होते हैं जो क्लासरूम में अन्य छात्रों के सामने अपनी विषय संबंधी समस्या को पूछने में डरते या झिझकते हैं। इस वजह से उनके कॉन्सेप्ट क्लीयर नहीं हो पाते हैं और इसका असर उनके रिजल्ट में देखने को मिलता है। एक कॉन्सेप्ट क्लीयर न होने की वजह से छात्र उस टॉपिक से संबंधित अन्य टॉपिक्स को भी समझ नहीं पाते हैं। लेकिन डिजिटल एजुकेशन में छात्र अपनी टॉपिक संबंधी समस्या को उसी समय सुलाझा सकते हैं और उससे जुड़ी अन्य जानकारियों को भी ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं।

छात्रों के अनुकूल

डिजिटल एजुकेशन का एक बड़ा फायदा यह है कि ये छात्रों के अनुकूल होती है। डिजिटल एजुकेशन में कोई भी छात्र किसी भी समय अपने अध्यायों को पढ़ सकता है। वहीं स्कूली शिक्षा में छात्र यदि एक दिन स्कूल न जाए, तो उसके स्कूल में पढ़ाए गए सभी टॉपिक्स छूट जाते हैं, लेकिन डिजिटल एजुकेशन में छात्र अवकाश होने पर भी किसी भी जगह से अपने अध्यायों को सीख सकता है।

डिजिटल एजुकेशन अधिक रुचिकर

किताबों से किसी टॉपिक को पढ़ने की अपेक्षा अधिकतर छात्रों को ऑनलाइन रूप से क्लासेस लेना रुचिकर लगता है। इसकी मुख्य वजह यह हो सकती है कि किसी भी चीज को देखना और सुनना हमें ज्यादा आसान लगता है, और वह चीज हमें लंबे समय तक याद भी रहती है। शायद इसीलिए बच्चे टीवी पर देखी कोई बात तेजी से सीख लेते हैं।

शिक्षकों के लिए नए अवसर

डिजिटल एजुकेशन छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों को भी नए अवसर प्रदान करती है। शिक्षक आधुनिक युग में डिजिटल एजुकेशन की आवश्यकता को समझते हैं और इसके आधार पर अपने कौशल को बढ़ाने का कार्य करते हैं। शिक्षकों के द्वारा पारंपरिक शिक्षण के साथ डिजिटल तकनीक को सीखने से उनकी शिक्षण विधि बेहतर होती है। डिजिटल एजुकेशन में शिक्षक छात्रों के सुझावों से यह जान पाते हैं कि उनको अपनी शिक्षण तकनीक में क्या बदलाव लाने चाहिए। शिक्षण तकनीक में सुधार करने करने के बाद शिक्षक एक टॉपिक को समझाने में ज्यादा समय नहीं लगाते हैं और संबंधित टॉपिक को पढ़ाने में वह जिन उदाहरणों का उपयोग करते हैं उनसे ज्यादातर छात्र टॉपिक को पहले की अपेक्षा कम समय में समझ जाते हैं।

ब्राइट ट्यूटी और डिजिटल एजुकेशन

ब्राइट ट्यूटी भारत का लोकप्रिय स्टडी प्लेटफॉर्म है। इस प्लेटफॉर्म पर 5लाख से अधिक छात्र भरोसा करते हैं। इसमें सीबीएसई, आईसीएसई व राज्यों के अन्य शैक्षिक बोर्ड के विषयों पर ऑनलाइन कोर्स तैयार किये गये हैं। ब्राइट ट्यूटी की टीम में शामिल विभिन्न बोर्ड के अनुभवी शिक्षकों ने अपने अनुभव के आधार पर सभी वीडियो लेक्चर्स को बेहद ही सरल व आकर्षक रूप से तैयार किया है। इस प्लेटफॉर्म में छात्रों के लिए लगभग सभी विषयों के कोर्स हिंदी, अंग्रेजी व बाईलिंग्वल (हिंदी-अंग्रेजी मिश्रित) भाषा में तैयार किये गये हैं। ब्राइट ट्यूटी के कोर्स में छात्रों को संपूर्ण ज्ञान प्रदान के उद्देश्य से वीडियो लेक्चर्स, असाइनमेंट्स, बहुविकल्पीय प्रश्न-उत्तर और विशेष परीक्षा किट प्रदान की जाती है।

विशेष परीक्षा किट में छात्रों को मॉडल टेस्ट पेपर्स, सैंपल पेपर्स, और पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र दिये जाते हैं। यह सभी सॉल्वड व अनसॉल्वड दोनों ही प्रारूपों में होते हैं।

इस कोर्स में छात्र सबसे पहले अपने अध्याय या टॉपिक को वीडियो लेक्चर्स के माध्यम से सीखते हैं। इसके बाद वह बहुविकल्पीय प्रश्न व असाइनमेंट्स के अभ्यास से उसको दोहराते हैं। एक बार कोर्स पूरा होने के बाद छात्र परीक्षा किट से अपनी परीक्षा की तैयारी कर सकते हैं। इसमें शामिल परीक्षा पत्रों का अभ्यास करने से छात्र परीक्षा के वास्तविक प्रारूप को समझते हैं और अपनी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाते हैं।